दिल कहता है | चल फिर वही वक़्त ढूँढ लाते हैं || छोड़ देते हैं ना ‘हुसैन’ अब ये दिल्लगी…
ना कर यूँ बदनाम मुझे | वरना कोई और रूठ जायेगा || मेरा क्या मैं तो मुसाफिर हूँ | न जाने…